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शहडोल। प्रशासनिक व्यवस्था में सभी वर्ग के अधिकारियों कर्मचारियों के लिए सेवा शर्तों से लेकर विभिन्न प्रकार की कार्यवाही के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश मध्यप्रदेश विधानसभा सभा द्वारा निर्मित कानूनों में स्पष्ट रूप से लिखा गया है जिसके अनुरूप ही सभी विभागों के अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार के अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं लेकिन एक बड़ा मामला शहडोल जिले में उस वक्त चर्चा में आया जब विभाग के आला अधिकारी ने सोशल मीडिया में वायरल वीडियो को संज्ञान में लेकर बिना कोई जांच-पड़ताल किए एक पक्षी य कार्रवाई कर कर्मचारी को निलंबित कर आगे की जांच किया गया। विभाग द्वारा किए गए कार्रवाई में उस वक्त पूरा मामला उलट पड़ गया जब वायरल वीडियो का फरियादी जिसने लिखित या प्रत्यक्ष रूप से किसी भी प्रशासनिक आला अधिकारी के समक्ष कोई भी शिकायत दर्ज नहीं की। बावजूद हुई कार्यवाही विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं मामले में शहडोल बुलेटिन टीम की पडताल पर बात सामने जो आई वो यह वास्तविक स्थिति मे यह है कि उस फरियादी द्वारा लेकिन शपथ पत्र देकर वायरल वीडियो को गलत बताकर तथाकथित वायरल वीडियो के माध्यम से उसे आगे कर कर जो कार्रवाई प्रशासन द्वारा की गई थी उस पर ही एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया।
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क्या है पूरा मामला….
मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी धनपुरी कार्यालय मैं उच्च श्रेणी लिपिक के पद पर नियुक्त बड़े बाबू डी .के. पीडिहा के पास धनपुरी निवासी फिरोज खान अपने बकाया बिजली बिल की राशि किसी अन्य माध्यमों से जमाना होने के कारण केस के रूप में ही कार्यालय में जमा कराने के लिए उपस्थित हुआ जहां उसने बड़े बाबू से बात कर बिल और उसकी राशि देकर चला गया उसके कुछ देर बाद तथाकथित कुछ लोगों ने कार्यालय पहुंचकर बड़े बाबू से घूस, रिश्वत की मांग करने और घूस के पैसा लिए जाने का वीडियो और उस वीडियो में दिख रहा है फरियादी द्वारा आरोप लगाए जाने का हवाला देकर सवाल जवाब कैमरे में कैद किया। यह घटना 11 मई की बताई जा रही है। 11 तारीख से लगातार बड़े बाबू के पास मामले को समाप्त करने के लिए पैसों की मांग वीडियो बनाने वालों द्वारा किया जाता रहा किंतु बड़े बाबू द्वारा किसी प्रकार की राशि दिए जाने से साफ-साफ मना किया गया। जिसके बाद 14 तारीख को बड़े बाबू के पास मैसेजेस के रूप में ब्रेकिंग भरी खबरें आने लगी और तथाकथित स्टिंग का वायरल वीडियो को आधार मानकर शहडोल डिवीज़न के आला अधिकारियों द्वारा बिना जांच-पड़ताल किए बिना पीड़ित के पक्ष जाने एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और पूरी घटना के जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त कर दिया गया ।
गौरतलब है कि बिजली विभाग के आला अधिकारी ने जिस तथाकथित वायरल वीडियो को आधार बनाकर अपने कर्मचारी पर कार्रवाई की गई उसे वायरल वीडियो तथाकथित फरियादी फिरोज खान स्वयं कार्यालय में उपस्थित होकर शपथ पत्र के माध्यम से ऐसे समस्त आरोपों को सिरे से खारिज करता हुआ सामने आया।
कोरोना काल मे दोहरी मार .... किसी भी सरकारी विभाग के आला अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों अच्छे कार्य के लिए प्रोत्साहित और गलत कार्यों के लिए दंडित करने की प्रक्रिया लगातार अपनाते रहते हैं जो कि प्रसाद के प्रबंधन के लिए आवश्यक भी होते हैं लेकिन मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी शहडोल डिविज़न के अधिकारियों ने अपने निर्दोष कर्मचारी के बिना पक्ष को जाने मामले की सच्चाई समझे बिना एक पक्षी कार्रवाई के कारण कर्मचारी और उसके परिवार को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है । पीड़ित कर्मचारी के ऊपर तथाकथित स्टिंग के वायरल वीडियो के आधार पर तत्काल कार्यवाही बिजली विभाग के आला अधिकारियों के सोचने समझने की शक्ति पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रही है जबकि विभाग के अधिकारियों द्वारा जांच के लिए नियुक्त अधिकारी ने जांच के उपरांत मीडिया से बात करते समय स्पष्ट रूप से प्रारंभिक तौर पर डी.के.पीडिया को निर्दोष माना है ऐसी परिस्थितियों में जहां लॉक डाउन कोरोना जैसी महामारी को लेकर पूरी दुनिया परेशान है और सरकार लोगों को अधिक से अधिक घर में रहने की सलाह दे रही है तो वहीं दूसरी ओर जान की परवाह किए बिना सरकार के आदेश को सुधार मानते हुए बिजली जैसी अति आवश्यक सेवाओं को निरंतर चालू रखने के लिए कार्यरत कर्मचारी जो अपनी उपभोक्ताओं की मदद करने के लिए बैठे हैं उनके मनोबल पर कैसा प्रभाव पड़ेगा उनके परिवार को कैसा दंश झेलना पड़ेगा ऐसी बातों की परवाह किए बिना विभाग के अधिकारियों द्वारा तत्काल एक पक्षी कार्रवाई प्रशासन के अधिकारियों की सूचिता ओर स्वस्थ मानसिकता दोनों पर एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करती है।
इस मामले में बडा पहलू यह भी सामने आया है कि कुछ तथाकथित पत्रकारों ने कथित फरियादी को मोहरा बनाकर वसूली के लिए अधिकारी पर दबाव बनाने की कोशिश की जिसमे न्यूज़ चैनल के यूनिट हेड, एंकर के नाम पर [email protected]लाख रुपये की मांग की जो अधिकारी का स्पष्ट बयान के मुताबिक [email protected]हजार रुपये मे न्यूनतम राशि तय की। परंतु अधिकारी के मैनेज ना करनें पर तीन लोकप्रिय न्यूज़ चैनल की साख दांव पर लगा दी जिसकी प्रमाणिकता निराधार है। बहरहाल मामला अधिकारियों के संज्ञान में है बिना शिकायत वाली कार्यवाही की बात आला अधिकारियों तक पहुँच चुकी है। देखना होगा कोरोना काल में विद्युत आपूर्ति बिना अवरोध के जन जन तक पहुंचाने में लगे अधिकारी पर दोहरी मार से कैसे राहत दिलाई जाती है।
पीड़ित कर्मचारी
“मेरे ऊपर लगे सभी आरोप निराधार है मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश किया जा रहा था।”
डी.के पिडियां,
कार्यालय सहायक धनपुरी,
शहडोल, मध्यप्रदेश
जांच अधिकारी
“फरियादी ने कोई शिकायत नहीं किया फिर भी हमने उनका बयान लिया है जिसमें उन्होंने किसी भी प्रकार की घूस मांगने या देने से साफ साफ इंकार किया है।
घनश्याम पांडे
प्रबंधक, HR, म.प्र. पू. क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, शहडोल, मध्यप्रदेश