सिटी डेस्क
शहडोल बुलेटिन। कोरोना महामारी इस दौर में भले ही अब रियायतें दे दी गई हों , लेकिन प्रशासनिक स्तर के साथ ही आम-जन को इस महामारी से बचाव के लिये सोशल डिस्टेंशिंग मॉस्क जैसे तमाम एहतियात बरतनें के लिये लगातार कहा जा रहा है। इतना ही नहीं प्रशासन ऐसा ना करनें पर बकायदे कार्यवाही भी कर रही है। दुकानें , प्रतिष्ठानों और सड़कों पर चलनें वाले दो पहिया वाहन चालकों पर भी कार्यवाही हुई है। वहीं हाल ही मंत्रीमंडल विस्तार के बाद कैबिनेट मंत्री बनें बिसाहूलाल सिंह के स्वागत की जो तस्वीरे सामनें आई उसे देखकर इस कोरोना काल में भी प्रशासनिक नियम आम – खास के बीच सिमटती दिखाई दे रही है। जबकि जिले के बुढार में बीते सप्ताह तक एक वार्ड को कंटेंटमेंट एरिया घोषित कर दिया गया था। एक तरफ आमजन कोरोना वायरस के संक्रमण व फैलाव से बचाव के लिये हर संभव प्रयास कर रहा है और कोरोना से जंग की मुहिम का हिस्सा बन गया है।
वहीं मंत्री जी के ऐसे स्वागत ने बता दिया है कि शासन के कायदे-कानून को खासों को ताक पर रखने की पूरी छूट दी है। इस तरह के मामले में मीडिया ने यह देखा है कि सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में आते ही सुरक्षा है लापरवाही बरतने वाले लोगों को लगातार चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन कांग्रेस से वर्षों का पुराना नाता तोड़ हाल ही में भाजपा में आये और कैबिनेट मंत्री बनते ही कई बातों को अनसुना कर दिया। शायद संवेदनशील मुख्यमंत्री की वैश्विक महामारी को लेकर दी जानें वाली चेतावनी की सीमा लांघना और अनुशासन तोड़ने को लेकर कोई हिदायत दी जाये। लेकिन प्रशासनिक स्तर द्वारा इस तरह की अनदेखी बड़ी मुश्किल जरुर खड़ा कर सकती है ।
वहीं माननीय मंत्री जी के स्वागत में मौजूद सैकड़ों खासों की भीड़ में ना ही सोशल डिस्टेंशिंग देखनें को मिली ना ही वो तमाम एहतियात बरतते लोग दिखे जिसके लिये प्रशासन लगातार जागरुक कर रहा है। खास तो यह भी है मंत्री जी का स्वागत उमरिया, शहड़ोल, बुढ़ार से लेकर अनूपपुर तक हुआ जहां स्थानीय नेताओं नें ना सिर्फ धूमधाम से स्वागत किया बल्कि उनके साथ दर्जनों की भीड़ में तस्वीरें खिचानें और साझा करते भी नजर आये। लेकिन इन सब यह बात तो स्पष्ट होती नजर आती है कि इस कोरोना काल में भी नियम और जागरुकता आमआदमी के लिये अलग है और खास के लिये अलग।
तभी तो शहर के हृदय स्थल पर रोजमर्रा की जरूरत या जीवन रक्षक दवाइयों की खरीद के लिए मेडिकल स्टोर को ही निकला हो साहब पकड़ ले तो बिना पैनाल्टी भरे जाने नही देते। और यहां खुलेआम नियम कायदों की उड़ रही धज्जियां आम खास के बीच दूरियां स्पष्ट करनें के साथ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते नजर आ रही है।