सवाल तो यह है- जिले में अवैध खनन के इस विशाल कारोबार पर न तो विभाग का कोई नियंत्रण है और न ही प्रशासन का। गाहे-ब-गाहे कुछ कार्रवाई दिखावे के लिए की जाती है, पर इसका कोई खास असर खनन माफियाओं पर नहीं पड़ता है। इसी तर्ज पर गोहपारू वन परिक्षेत्र मे स्थानीय नालो से रेत निकल कर चौगुने दाम में खपाई जा रही है की सूचना वनविभाग को मिली जांच दल मौके पर रेत परिवहन करती पकड़ कर मेटाडेर जप्ती की गई परीक्षण पंचनामा की कार्यवाही के बीच काली रंग की हुंडई क्रेटा पर सवार जिला बदर अपराधी गुर्गो के साथ छीना-झपटी कर मेटाडोर को अधिकारियों की अभिरक्षा से छुडा लाते हैं पढें आखिर माफिया बेखौफ़ मानसून सत्र में लगे प्रतिबंध के बावजूद खनन मे
सिटी डेस्क
शहडोल बुलेटिन। माफियाओं के हौशले अब इसमें बुलंद है कि वह वर्दीधारियों को भी निशाना बनानें से नहीं बख्स रहे हैं। कुछ ऐसा ही मामला शहड़ोल जिले के गोहपारु वन परिक्षेत्र से सामनें आया है जहां गोहपारु वन परिक्षेत्र क्षेत्र धनगंवा में अवैध रेत उत्खनन करते हुये पकड़ा गया, इस मामले पर वन अमले नें उच्च अधिकारी को सूचना दी और वन अमले नें कार्यवाही शुरु ही की थी, के कार्यवाही के दौरान ही लक्की साहू अपनें दो गुर्गों के साथ आया और वन अमले के साथ धक्का मुक्की कर मेटाडोर वाहन ले गया। इतना ही नहीं अपनी चोरी पर पर्दा डा़लनें को लिये कार्यवाही के लगभग आधे घंटे बाद नवागांव से उक्त वाहन की ईटीपी जारी करवा ली।
खास बात तो यह है कि वन अमले नें उक्त वाहन पर शाम 4 बजकर 4 मिनट पर कार्यवाही की, लेकिन वाहन के धनगंवा क्षेत्र में होनें की पुष्टि के बाद भी उसकी ईटीपी कट गई। हलांकि वन अमले के पास जीपीएस के साथ वह सभी साक्ष्य हैं, जिससे ना सिर्फ अवैध उत्खनन की पुष्टि कर रहे हैं।
गौरतलब हो कि इस मामले की ही तरह जिले में तमाम नदी – नालो से रेत निकल कर शहर में आपूर्ति की जा रही है चौगुना बढा रेत का दाम भी एक बडा कारण है हालांकि जिले में वंशिका ग्रुप का रेत खनन का करोडों रूपये मे ठेका लिया गया है और इन लोगों के सैकड़ों का स्टाफ माइनिंग कॉरपोरेशन का जाँच चौकी के बावजूद खनन और परिवहन आसानी से हो रहा है गले से न उतरने वाली बात साबित हो चुकी। इस मामले में साहू ब्रदर्स के दो नंबरी रेत खनन और परिवहन की इलाके में दहशत और जनचर्चा पर इस मानो मुहर लग गई। जिसमे जिला बदल 10000₹ का इनामी अपराधी सरकारी कर्मचारियों से धक्का मुककी कर मेटाडोर छुडा लाता है। इस मामले वन विभाग का पुख्ता सबूत जीपीएस, फोटों एवं विडियो आदि आवश्यक था जो सजग प्रहरियो एवं टीम शहडोल बुलेटिन के पास मौजूद है। प्रशासनिक दिशानिर्देशों के परिपालन मे इन जैसे अपराधियों पर नकेल न लगा तो जिले मे दहशत का माहौल निर्मित हो रहा है कहा जाना अतिश्योक्ति नहीं होगी। पुलिसिंग का दबाव कम होगा अपराधी बेलगाम होोंगे प्रशासनिक संरक्षण देने के आरोप प्रत्यारोप लगेंग, अपराधी किसी बडी घटनाओं को अंजाम आदि देने की फिराक में रहेेेगा। समय रहते स्थितियों पर नियंत्रण आवश्यक है।