नियम विरुद्ध किया जाने वाला खनन भले ही वैध ठेकेदार वंशिका ग्रुप की काबिलियत है परंतु अवैध खनन और लाखों टन रेत के परिवहन से हर साल सरकारी खज़ाने को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है अवैध खनन संबधित तमाम याचिकाओं की जानकारी के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) ने भी अपने आदेश में कहा है कि अवैध खनन से सरकार को होने वाला नुकसान लाखों करोड़ का हो सकता है, याचिका में ये भी कहा गया था कि “अवैध खनन से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है”. और सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 के अपने आदेश में रेत के खनन के बुरे प्रभावों का ज़िक्र किया था। बहरहाल मामले की ही तरह जिले की जीवनदायनी सोन सहित अन्य सहयोगी नदियों पर संकट के बादल छा गए यद्यपि इसे नजरअंदाज किया गया तो वो दिन दूर नहीं जब नदियों के आसपास इलाकों में मानव समेत जीव जंतुओं, पशु पक्षी पानी के लिए तरस जाएंगे। पर्यावरण संरक्षण दिवस पर पढें पूरी रिपोर्ट।
आडिटोरियल डेस्क। पर्यावरण भारत में साल 1986 में एक विधेयक पारित किया गया, जिसका नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम था। इस विधेयक के तहत हवा, पानी और भूमि की सभी चीज़ों को पर्यावरण के अंतर्गत रखा गया। जबकि इस विधेयक की शक्तियां केंद सरकार को दी गईं। लेकिन इसके बावजूद मध्यप्रदेश के शहडोल जिले मे वंशिका ग्रुप द्वारा लगातार नियम विरूध ताबडतोड़ खनन खनन और नदियों के अस्तित्व मिटाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइन के परिपेक्ष्य में जिले के जिम्मेदार अधिकारी परिपालन कराने मे कोताही बरती जा रही है। जिससे इस आदिवासी अंचल मे इस तरह के बेलगाम लूटेरों की काबिलियत की बदौलत आगामी ग्रीष्मकालीन जल आपूर्ति संकट देखा जा सकता है इस बात से इनकार नही किया जा सकता। @[email protected]

विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस प्रति वर्ष पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने एवं लोगों को जागरूक करने के सन्दर्भ में सकारात्मक कदम उठाने के लिए 26 नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। @[email protected]

